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संयुक्त -30-Jan-2025

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक:  30/01/2028
संयुक्त 

संयुक्त ही से सब-कुछ, 
कुछ भी नहीं अकेला।
संयुक्त हैं धरा और गगन,
संयुक्त है सवेरा।
संयुक्त से बढ़ते हैं भोर,
संयुक्त हैं रिश्तों की डोर।
संयुक्त से मिलती है शक्ति
संयुक्त है बसेरा।
संयुक्त से बनता परिवार,
जहां सजता सपनों का हार।
संयुक्त ही मन के हैं गीत,
संयुक्त नहीं अकेला।
संयुक्त होकर सृष्टि मुस्कुराती
मानवता का फिर पाठ सिखाती
संयुक्त ईमानदार हृदय
संयुक्त ही सत्य का सवेरा।

शाहाना परवीन'शान'...✍️
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश 

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4 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:08 AM

amazing

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kashish

03-Feb-2025 05:18 AM

v nice

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madhura

01-Feb-2025 03:42 AM

awesome

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